AIIMS nurses protest after 5 doctors resume duty
A day after the All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) administration revoked the suspension of five resident doctors, the nursing union organised a protest march near the Jawaharlal Nehru Stadium on Wednesday.
The nurses have alleged that a 28-year-old colleague died due to the negligence of these doctors. They have requested Union Health Minister JP Nadda to intervene in the matter. “The facts have been manipulated. We demand suspension of the Medical Superintendent, since he has attempted to save the resident doctors,”the nursing union members wrote in their letter to the minister.
Late on Tuesday, the AIIMS administration had revoked the suspension order of five doctors after it failed to find any substantial evidence against them. The doctors then resumed their services.
“The preliminary fact-finding inquiry report has found that there is no substantial evidence of any intentional gross medical negligence. The suspension orders of the junior and the senior resident doctors is immediately revoked,”the AIIMS circular stated.
एम्स में रेजिडेंट डॉक्टर व नर्सिंग कर्मचारी दो फाड़
मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टर व नर्सिग कर्मचारियों के बीच बेहतर तालमेल जरूरी है पर देश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान एम्स में प्रसूता नर्स और उसके गर्भच्थ बच्चे की मौत की घटना के बाद संस्थान के रेजिडेंट डॉक्टर व नर्सिंग कर्मचारी दो फाड़ हो गए हैं। रेजिडेंट डॉक्टरों का निलंबन रद किए जाने से नाराज एम्स नर्सिग एसोसिएशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से मिलने का समय मांगा है। एसोसिएशन का कहना है कि यदि इलाज में लापरवाही के दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी तो वे भी हड़ताल करने को मजबूर होंगे। वहीं रेजिडेंट डॉक्टर भी नर्सिग कर्मचारियों पर मरीजों की देखभाल में लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। साथ ही रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने नर्सिग एसोसिएशन को पत्र लिखकर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है और आपसी सामंजस्य बेहतर बनाने की मांग की है।
इसके अलावा एम्स की व्यवस्था पर गंभीर आरोप लगाया है। एसोसिएशन का कहना है कि घटना के लिए सिर्फ रेजिडेंट डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है। आरडीए का आरोप है कि गायनी विभाग के ऑपरेशन थियेटर में सुविधाओं का अभाव है। एनेस्थिसिया के वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर की 24 घंटे ड्यूटी नहीं होती। घटना वाले दिन भी वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर नहीं थे। फैकल्टी स्तर के वरिष्ठ डॉक्टर भी इलाज के लिए नहीं पहुंचे। आरडीए ने सवाल उठाया है कि ऐसी व्यवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है? एम्स में पहली बार ऐसी घटना हुई जब रेजिडेंट डॉक्टर व नर्सिग कर्मचारी खुले तौर पर एक दूसरे का विरोध कर रहे हैं। इससे संस्थान में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को भी परेशानी हो रही है। आरडीए के अध्यक्ष डॉ. विजय गुर्जर ने कहा कि यदि इलाज में लापरवाही हुई तो इसकी जांच शुरू में ही क्यों नहीं की गई। उल्लेखनीय है कि नर्स राजबीर कौर 19 दिन आइसीयू में भर्ती रही थी।
नर्सिग एसोसिएशन का कहना है कि एम्स प्रशासन मामले को दबाने में लगा हुआ है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा है। 31 जनवरी को स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की गई थी। वहीं नर्सिग एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश कुमार कज्ला ने कहा कि बृहस्पतिवार को मंत्रालय के अधिकारियों से संपर्क कर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मिलने का समय मांगा है। इस मामले को मंत्रालय के समक्ष उठाएंगे। हमें अभी तक मंत्री मिलने का समय नहीं मिला है।
एम्स: दूसरे दिन भी जारी रहा हंगामा, नर्सिंग कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन
एम्स प्रशासन ने जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए डॉक्टरों को ड्यूटी पर बहाल कर दिया है, बावजूद इसके एम्स में विवाद अभी थमा नहीं है बल्कि और भी तेज हो गया है। नर्सिंग कर्मचारियों ने कड़ा रुख अपनाते हुए बुधवार को न केवल विरोध रैली निकाली बल्कि जमकर एम्स प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की। इन सबके बीच एम्स प्रशासन और उसके तमाम आला अधिकारी मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।
संस्थान में दो संगठनों के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है, उससे एम्स की चिकित्सकीय सेवाएं लगातार प्रभावित हो रही हैं। जानकार इस मामले में एम्स की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं।
एमएस को निलंबित करने की मांग
एम्स नर्सिंग यूनियन ने चिकित्सा अधीक्षक और जांच दल के प्रमुख डॉ. डीके शर्मा को तत्काल पद से निलंबित करने की मांग की है। यूनियन पदाधिकारियों ने डॉ. शर्मा पर रेजिडेंट डॉक्टरों को संरक्षण करने का अरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि डॉ. शर्मा की भूमिका के कारण राजबीर कौर मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती है। पदाधिकारियों ने कहा कि चिकित्सा अधीक्षक जहां रेजिडेंट डॉक्टर के हिमायती हैं, वहीं नर्सिंग कर्मचारियों के प्रति उनका नजरीया उपेक्षित है। इस संबंध में नर्सिंग यूनियन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और एम्स निदेशक को पत्र लिखा है।
न्याय की मांग के साथ मैदान में जमीं नर्सें
एम्स नर्सिंग कर्मचारियों ने ईएनटी एचओडी डीके शर्मा की अगुवाई में गठित जांच दल की रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। एम्स नर्सिंग यूनियन ने एम्स प्रशासन के खिलाफ भी गंभीर आरोप लगाए हैं। यूनियन के अध्यक्ष हरीश कुमार काजला के मुताबिक मृतक नर्स राजबीर कौर के मामले में जांच कमेटी ने भेदभावपूर्ण रिपोर्ट उजागर किया है। उन्होंने जांच रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि उसमें डॉक्टरों की हिमायत की गई है, जबकि हकीकत जांच रिपोर्ट से कोसो दूर है।
काजला का तर्क है कि इस मामले में गत् 24 जनवरी को डॉ. निरजा भाटिया के चेयरमैनशिप में पहले ही जांच कमेटी का गठन किया गया। कमेटी को 15 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक जांच रिपोर्ट लंबित है, जबकि आनन-फानन में गठित जांच दल महज 48 घंटों में अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट भी सौंप देता है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अभी हाल में एम्स प्रशासन ने संयुक्त बैठक के दौरान इस कमेटी का गठन किया था।
इसके गठन का विरोध नर्सिंग यूनियन पहले से ही करता आ रहा है। काजल के मुताबिक इस जांच दल का गठन ही रेजिडेंट डॉक्टरों की करतूत पर लीपापोती करने के लिए किया गया था।
‘दो मासूम जान की कीमत नहीं समझ रहा एम्स प्रशासन’
नर्सिंग यूनियन ने एम्स प्रबंधन और रेजिडेंट डॉक्टरों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। नॄसग कर्मचारियों का कहना है कि यह कोई मामूली लापरवाही की घटना नहीं है, जिसे बातचीत से रफा-दफा कर दिया जाए। कर्मचारियों ने कहा कि अगर ऐसी घटनाओं को नजरअंदाज करते रहे तो आने वाले समय में इस तरह की घटनाओं में तेजी आएगी।
नर्सिंग कर्मचारियों का कहना है कि पेशेवर और विभागीय मजबूरियों के कारण कई बार संस्थान में होने वाले घटनाक्रम पर चुप्पी साधे रहना मजबूरी होती है, लेकिन यह चुप्पी अब नर्सिंग कर्मचारियों पर भारी पड़ रही है। ग यूनियन ने एम्स प्रबंधन से मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग दोहराई है। साथ ही लापरवाही की स्थिति में विभागीय प्रोटोकॉल को तोड़कर संस्थान के तमाम अव्यवस्थाओं और चिकित्सकीय प्रक्रिया में आने वाली खामियों को उजागर करने की बात कहकर एम्स प्रशासन को सकते में डाल दिया है।
महत्वपूर्ण तथ्यों को दरकिनार करने का आरोप
- नॄसग यूनियन पदाधिकारियों ने कहा कि नर्स जसबीर कौर की भर्ती से लेकर उसकी मौत तक कई ऐसे तथ्य हैं जिस पर ध्यान जान बूझकर नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने एम्स प्रशासन को पत्र लिखकर मृतका के उपचार के दौरान हुई लापरवाहियों से संबंधित 6 सवाल पूछे हैं ।
- नवजात की हालत अचानक खराब नहीं हुई थी। उसकी स्थिति धीरे-धीरे इसलिए खराब होती गई, क्योंकि उसकी ठीक से निगरानी नहीं की गई
- सर्जरी (एलएससीएस) बिना जेनरल एनेस्थेसिया दिए ही शुरू कर दिया गया
- इंटूबेशन से पहले ही चीरा लगा दिया गया
- सांस की नली के बदले ईटी ट्यूब (आर्टिफिशियल ब्रीङ्क्षदग ट्यूब) को भोजन नली में डाला गया
-जूनियर रेजिडेंट के ईटी ट्यूब डालने की गलत प्रक्रिया से फूड पाॢटकल फेफड़े के संपर्क में आया और इससे क्षति हुई